Surya Grahan 2025: ये 7 मंदिर नहीं मानते ग्रहण का नियम, खुले रहते हैं कपाट, भक्त करते हैं सीधा दर्शन
- Ankit Rawat
- 21 Sep 2025 04:36:58 PM
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता। माना जाता है कि ग्रहण के समय आसमान में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है जिससे धार्मिक गतिविधियों पर रोक लग जाती है। ग्रहण शुरू होने से पहले ही सूतक काल लग जाता है और देशभर के मंदिरों में पूजा रोक दी जाती है। मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्म होने के बाद गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाता है। लेकिन भारत में कुछ मंदिर ऐसे हैं जिन पर ग्रहण का कोई असर नहीं होता। यहां ना तो सूतक मानते हैं और ना ही मंदिरों के कपाट बंद होते हैं। आइए जानते हैं वो कौन से मंदिर हैं जहां ग्रहण काल में भी भगवान के दर्शन किए जा सकते हैं।
1. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां माना जाता है कि भगवान महाकाल खुद काल के स्वामी हैं इसलिए उन पर किसी ग्रह या नक्षत्र का प्रभाव नहीं होता। ग्रहण के समय पूजा और आरती की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव होता है लेकिन मंदिर बंद नहीं होता और भक्त दर्शन कर सकते हैं।
2. लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर
राजस्थान के बीकानेर में स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर की एक खास कहानी है। कहा जाता है कि एक बार ग्रहण के दौरान भगवान को न भोग लगाया गया और न आरती हुई। इसके बाद भगवान ने एक हलवाई को सपने में भूख लगने की शिकायत की। तब से यहां ग्रहण के समय भी भगवान के दर्शन होते हैं और मंदिर खुले रहते हैं।
3. श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा
नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर भी ग्रहण में बंद नहीं होता। मान्यता है कि जैसे भगवान ने गिरिराज पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को संकट से बचाया था वैसे ही ग्रहण के दौरान भी वो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इस समय मंदिर में केवल दर्शन की अनुमति होती है बाकी पूजा विधि टाल दी जाती है।
4. तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर, केरल
केरल के कोट्टायम जिले में स्थित ये मंदिर बहुत खास है। यहां भगवान को समय पर भोग न चढ़े तो मूर्ति क्षीण होने लगती है। एक बार सूर्य ग्रहण के समय कपाट बंद करने से भगवान की कमरपेटी गिर गई थी। तब से यहां ग्रहण और सूतक मान्य नहीं है और मंदिर हमेशा खुला रहता है।
5. कालकाजी मंदिर, दिल्ली
दिल्ली का कालकाजी मंदिर भी उन जगहों में से एक है जहां ग्रहण के समय मंदिर बंद नहीं होता। मान्यता है कि मां कालका के अधीन सभी ग्रह हैं इसलिए उन पर किसी ग्रहण का असर नहीं होता।
6. कल्पेश्वर तीर्थ, उत्तराखंड
उत्तराखंड का कल्पेश्वर मंदिर भी ग्रहण में बंद नहीं होता। मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने अपनी जटाओं से गंगा को प्रवाहित किया था। इसलिए यहां के कपाट हर परिस्थिति में खुले रहते हैं।
7. विष्णुपद मंदिर, गया
बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर पितृ कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के चरण मौजूद हैं और यहां ग्रहण में भी मंदिर बंद नहीं होता। लोग इस दौरान भी दर्शन और तर्पण करते हैं।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *



