अयोध्या मस्जिद निर्माण पर अटकी गाड़ी, एनओसी न मिलने से खारिज हुआ लेआउट प्लान
- Shubhangi Pandey
- 23 Sep 2025 12:17:23 PM
अयोध्या में राम मंदिर की जमीन के बदले दी गई मस्जिद की परियोजना एक बार फिर चर्चा में है। अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने मस्जिद का लेआउट प्लान मंजूर करने से इनकार कर दिया है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से सामने आया है कि विभिन्न सरकारी विभागों से जरूरी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) न मिलने की वजह से ये फैसला लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के 2019 के ऐतिहासिक आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन दी थी। लेकिन तीन साल बाद भी मस्जिद निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया है।
क्यों खारिज हुआ मस्जिद का प्लान?
मस्जिद ट्रस्ट ने जून 2021 में लेआउट प्लान को मंजूरी दिलाने के लिए आवेदन किया था। लेकिन प्राधिकरण ने साफ कर दिया कि बिना एनओसी के योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। खासकर अग्निशमन विभाग ने रिपोर्ट दी थी कि मस्जिद और अस्पताल भवन की ऊंचाई को देखते हुए अप्रोच रोड की चौड़ाई कम से कम 12 मीटर होनी चाहिए। लेकिन मौके पर सड़कें सिर्फ 6 मीटर चौड़ी थीं और मुख्य सड़क तो महज 4 मीटर की मिली। यही वजह रही कि फायर विभाग ने अपनी मंजूरी नहीं दी और योजना खारिज हो गई।
मस्जिद परियोजना अटकी
आरटीआई से सामने आए इस खुलासे ने दोनों परियोजनाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं मस्जिद का काम शुरुआत में ही रुक गया है। अब तक न तो ट्रस्ट और न ही वक्फ बोर्ड की तरफ से कोई आधिकारिक बयान आया है कि वो इस समस्या का समाधान कैसे निकालेंगे।
मस्जिद ट्रस्ट ने जताई नाराजगी
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद के लिए जमीन दी जाए और यूपी सरकार ने हमें वो जमीन दी भी। अब सवाल ये है कि सरकारी विभागों ने एनओसी क्यों नहीं दी और प्राधिकरण ने प्लान को क्यों खारिज कर दिया। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें एनओसी न मिलने या योजना खारिज होने की कोई आधिकारिक सूचना तक नहीं मिली। हुसैन का कहना है कि अग्निशमन विभाग की आपत्ति के अलावा उन्हें किसी अन्य विभाग की अड़चन की जानकारी नहीं है।
मालूम हो कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इस मसले पर आगे की प्रक्रिया या कोई समयसीमा तय नहीं की है। फिलहाल मस्जिद परियोजना कागजों पर ही अटकी हुई है। वहीं राम मंदिर का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। ऐसे में अब नजर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट पर है कि वो इन तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनों को कैसे सुलझाते हैं।
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