Chamoli में हाहाकार: बादल फटते ही 25 घर मलबे में तबाह! 20 घायल, 14 लापता, 200 से ज्यादा लोग प्रभावित
- Ankit Rawat
- 18 Sep 2025 05:36:51 PM
उत्तराखंड के चमोली जिले में बुधवार रात को दो अलग-अलग जगह बादल फटने की वजह से भारी नुकसान हुआ। ये देवभूमि में इस हफ्ते के अंदर हुई दूसरी बड़ी आपदा है। इस बार नुकसान मुख्य रूप से नंदानगर इलाके में हुआ, जहां अचानक आई भारी बारिश और बादल फटने से मलबा और पानी घरों में घुस गया। करीब 25 घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। इस घटना में 20 लोग घायल हुए हैं जबकि 14 लोग अभी तक लापता हैं। स्थानीय लोगों की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
प्रभावितों की संख्या पहुंची 200 से ज्यादा
बादल फटने के कारण लगभग 200 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। घरों के अंदर पानी और मलबा भरने की वजह से लोग अपने घरों से सुरक्षित बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। नंदानगर के खासकर कुंतरी और लंगाफली इलाकों को ज्यादा नुकसान हुआ है। आसपास के गांवों में सड़कें भी बाधित हो गई हैं। हादसे के बाद बद्रीनाथ हाइवे को भी बंद करना पड़ा है ताकि रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई रुकावट न आए।
राहत कार्यों में जुटी एनडीआरएफ और पुलिस
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गईं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए। अब तक 2 लापता लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है लेकिन 10 लोग अभी भी खोजे जा रहे हैं। बचाव कार्य अभी भी जारी है ताकि सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। प्रभावितों को मेडिकल सुविधाएं और जरूरी राहत सामग्री मुहैया कराने की पूरी कोशिश हो रही है।
मुख्यमंत्री धामी ने ली स्थिति की गंभीरता से समीक्षा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने आवास पर बैठक कर चमोली जिले के नंदानगर घाट क्षेत्र में हुई इस तबाही की समीक्षा की। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और जिलाधिकारी से बात कर पूरे हालात का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों की सुरक्षित निकासी, घायलों को बेहतर इलाज और राहत सामग्री के तत्काल वितरण के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने प्रभावित इलाकों में और ज्यादा मदद पहुंचाने के लिए टीमों को सतर्क रहने को कहा है।
खतरा अभी भी बरकरार
मौसम विभाग ने भी क्षेत्र में भारी बारिश की संभावना जताई है। इससे बचाव कार्य और मुश्किल हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से कहा है कि वे असुरक्षित इलाकों में न जाएं और किसी भी अनहोनी से बचने के लिए सतर्क रहें। साथ ही नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने का काम भी जारी है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस बार अचानक आई भारी बारिश और बादल फटना प्राकृतिक कारण हैं, जिनसे पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और जलभराव जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम में असामान्य बदलाव आए हैं जिससे ऐसे हादसे बढ़ रहे हैं। इसके चलते स्थानीय प्रशासन को और अधिक सतर्क रहकर बेहतर तैयारी करनी होगी। यह आपदा एक बार फिर से बताती है कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए समय रहते उचित कदम उठाना कितना जरूरी है। प्रशासन और लोगों को मिलकर मिलकर सतर्क रहना होगा ताकि भविष्य में नुकसान कम हो।
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