इस किले से लिखी गई भारत की गुलामी की दास्तान, जानिए आज क्या है हाल
- Ankit Rawat
- 14 Oct 2025 10:54:42 PM
इतिहास गवाह है कि भारत की गुलामी के पीछे की वजह लालच, विलासिता और धोखा रहा है. इतिहासकार बताते हैं कि गुलामी की ये नींव जहांगीर के शासन काल से ही पड़ी थी. अजमेर में बादशाह अकबर ने एक किले का निर्माण कराया था, जिसे अकबरी किला के नाम से जाना गया. वर्तमान में इसे अजमेर का किला और लाइब्रेरी कहा जाता है. अकबर के अलावा कई और मुगल बादशाह इस किले में रहे, इन्हीं में से एक था जहांगीर.
इस किले से शुरू हुई गुलामी की शुरुआत
कहा जाता है कि ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम के राजदूत सर टॉमस रो ने 10 जनवरी, 1616 को जहांगीर से इसी किले में मुलाकात की. साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए भारत में व्यापार करने की अनुमति भी दी. इसके बाद अंग्रेज भारत में फैलते गए और उन्होंने भारत के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा करना शुरु किया. यही वजह है कि कहा जाता है कि अकबरी किले से ही देश की गुलामी की दास्तान शुरु हुई थी.
1818 में अंग्रेज़ों का कब्जा
क़िले पर 1818 में अंग्रेज़ों ने कब्जा कर लिया. उन्होंने किले का उपयोग राजपूताना शस्त्रगार के तौर पर किया. जिसके बाद इसे मैग्जीन के नाम से पुकारा गया. तब से इसे मैग्जीन किला भी कहा जाता है.
पहली बार इस किले पर फहराया तिरंगा
आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को अजमेर कांग्रेस के अध्यक्ष जीतमल लूणिया ने इस किले पर तिरंगा फहराया और अंग्रेजों का राज्य की खात्मा और अजमेर के स्वतंत्र होने की घोषणा की. लार्ड कर्जन ने 1902 ई. में अपनी अजमेर यात्रा के दौरान ASI के डायरेक्टर जनरल सर जॉन मार्शल को प्राचीन राजपूत स्मारकों और कई स्थलों पर बिखरी हुई कलात्मक प्राचीन वस्तुओं को इकठ्ठा करने की राय दी.
दिल्ली-राजपूताना म्यूजियम की स्थापना
भारत सरकार ने 19 अक्टूबर 1908 को अजमेर के खजाना में दिल्ली-राजपूताना म्यूजियम की स्थापना की. राजपूताना के तत्कालीन एजीजी कॉल्विन ने लाइब्रेरी का उद्घाटन किया. लाइब्रेरी में छठी और 7वीं शताब्दी के स्थापत्यकला के नमूने, हिन्दू मूर्तियां, सिक्के, पेटिंग्स, अस्त्र-शस्त्र, सरस्वती कण्ठाभरण मंदिर से प्राप्त सामग्री, नाटकों की चौकियां, शिलालेख समेत कई सामान रखे हैं. लाइब्रेरी की मूर्तियों की अधिकतर बनावट राजपूत और मुगल शैली के मिश्रण को प्रदर्शित करती है. अकबरी किले में भव्य चित्रकला और पुरुष कक्षों की दीवारों पर पच्चीकारी का काम बड़ा कलापूर्ण ढंग से किया गया है. इस किले के अंदर मां काली की काले संगमरमर से बनी एक प्रतिमा भी मौजूद है.
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